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दुरूद ऐ ताज का अमल और जकात durood e taj

दुरूद ऐ ताज का अमल और जकात

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अगर कोई आमिल जियारत जमाले बेमिशाल हबीबे बा कमाल आकाये नामदार सय्यदे अबरार हजरत मोहम्मद रसूलूल्लाह की अरजू दिल वा जान से रखता हो तो अरबी का नया महीना लगते ही नौ चंदी जुमा नया लिबास पहने ग़ुस्ल करने के बाद- और लिबास जघा मुसल्ले को खुश्बू लगाये फिर ईशा की नमाज के बाद 170 मर्तबा Durood e taj रोज पढ़े इंशाअल्लाह 7रोज मे वर्ना 11रोज मे जियारत रसूल होगी-

अगर कोई आमिल चाहे कि सफाई कल्ब हासिल हो तो उसको चाहये कि वोह बादे नमाज फजर वा असर वा इशा 7, 7मर्तबा दरुदे ताज Durood e taj पढ़े इंशाअल्लाह कुछ हि दिनों मे दिल की सफाई हो जायेगी और दिल मुनव्वर रोशन होगा,

काला जादू(kala jadu) ब्लैक मैजिक(black magic)जिन शैतान वा वस्वसा दूर करने के लिये जिस्मानी बीमारियों हर किसिम के ऐसे मर्ज जिनको डॉक्टरो ने ला इलाल बता चुके हों इंशाअल्लाह कुछ दिनों मे Durood e taj की पढ़ाई से दूर होंगे,

रोजगार फतुहात के लिये फजर की नमाज के बाद 7मर्तबा Durood e taj पढ़ें इंशाअल्लाह कुछ दिनों की तिलावत से रोजी मे आसानी वा फ्राखी होगी और तंगदस्ती वा गरीबी दूर होती रहेगी हर किसिम के खतरे से महफूज वा मामून रहेगा,

बाझ औरत के वास्ते 21 छुहारो पर सात सात मर्तबा Durood e taj पढ़ कर दम करे और एक चूहारा रोज सुबह खाली पेट खाये, और मर्द से हमबिस्तरी हों इंशाअल्लाह हमल से हों, हैज के दौरान छुहारे ना खाये, और अल्लाह के हुकुम से औलाद नेक पैदा हो अगर हमल के दौरान किसी किसिम की तकलीफ महसूस हों तो सात दिन तक रोजाना सात मर्तबा Durood e taj पढ़ कर दम करके पिये या पिलायें इंशाअल्लाह हर किसिम की परेशानी वा तकलीफ दूर हो और हमल हिफाजत मे रहेगा,

बीवी की मोहब्बत पाने के लिये रोजाना अधीरात गुजरने के बाद चालिस मर्तबा 21 रोज तक Durood e taj पढ़ें या पढ़ाये इंशाअल्लाह कामयाबी मिलेगी,

तरीका जकात दरुदे ताज Durood e taj ये है कि अरबी की शुरू महीने मे जुमेरात से शुरू करें और 170 मर्तबा गियारह रोज तक Durood e taj पढ़ें गियाराहवे रोज ऐसाले सवाब करें और सेरिनी तक्सीम करें इंशाअल्लाह जकात अदा होगी फजर असर और इशा की नमाज के बाद एक एक मर्तबा Durood e taj रोज पढ़ते रहे,

दुरूद ऐ ताज

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दुरूद-ए-ताज (Durood-e-Taj) एक अत्यंत प्रसिद्ध और प्रभावशाली सलात (दुरूद) है जो हज़रत मुहम्मद ﷺ पर भेजा जाता है। यह दुरूद अपने विशेष फ़ज़ाइल (फायदे), बरकत और हिफाज़त के लिए मशहूर है।


🕋 दुरूद-ए-ताज क्या है?

“दुरूद-ए-ताज” एक विशेष दुआ (सलाम) है जो रसूल अल्लाह ﷺ की शान में पढ़ा जाता है। इसमें नबी-ए-करीम ﷺ की अलौकिक विशेषताओं और ऊँचे दर्जे का बयान है।


🌟 दुरूद-ए-ताज के फ़ज़ाइल (फ़ायदे / Benefits)

📌 फायदे विवरण
🛡️ सुरक्षा और हिफाज़त जिन्नात, शयातीन, नजर-ए-बद, साया आदि से सुरक्षा
🧘 दिल का सुकून चिंता, डर और डिप्रेशन में राहत
💎 रूहानी बरकत रुहानी ताक़त और फ़ैज़ हासिल होता है
🌙 ख़्वाब में रसूल ﷺ की ज़ियारत कुछ लोग रोज़ाना पढ़ने से ज़ियारत की नेमत पाते हैं
📿 हाजत पूरी होना मुश्किलात में पढ़ने से राहत मिलती है
🕌 हिफाज़त-ए-ईमान ईमान की पुख़्तगी और दिल की नर्मी

🔁 दुरूद-ए-ताज पढ़ने का अमल (Wazifa / Amal)

रोज़ाना का अमल:


🎯 खास अमल किसी परेशानी के लिए:

हिफाज़त या रुहानी हमला से बचने के लिए:

मुसीबत / बीमारी के लिए:

ख्वाब में रसूल ﷺ की ज़ियारत के लिए:


⚠️ पढ़ने की शर्तें


📜 दुरूद-ए-ताज की अरबी और तरजुमा (संक्षेप में)

اللهم صل وسلم على سيدنا ومولانا محمد
صاحب التاج والمعراج والبراق والعلم…

✨ तर्जुमा (संक्षेप में):

“या अल्लाह! दुरूद और सलाम भेज मेरे आका मुहम्मद ﷺ पर — जो ताज वाले हैं, मेराज वाले हैं, बुराक वाले हैं, इल्म वाले हैं…”


💰 जकात और दुरूद-ए-ताज का संबंध?

दुरूद-ए-ताज का सीधा संबंध जकात (Zakat) से नहीं है, क्योंकि:

🔹 हां, दिल की नर्मी और तौबा के साथ दुरूद पढ़ने से इंसान जकात जैसे फ़र्ज़ को अदा करने की तरफ रुझान महसूस करता है।


❓आप क्या जानना चाहेंगे?

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