रमजान के रोज़े का कफ्फारा कैसे अदा करें ? – Ramzan Ke Roze Ka Kaffara Kaise Ada Kare

Ramzan Ke Roze Ka Kaffara Kaise Ada Kare :- अस्सलमुअलायिकुम नाजराने दीन आज हम आपको बताने जा रहे है, की रमजान के रोज़े का कफ्फारा कैसे अदा करें।

जैसे की आप सब जानते है, की अल्लाह की सबसे बड़ी नैमत है रमजान जिसमे हम अल्लाह से अपने अगले और पिछले सारे गुनाहों की माफी मांग सकते हैं और अल्लाह को राजी कर सकते हैं।

रमजान का महीना बोहोत बरकतों का यह बोहोत सी फजीलत साथ ले कर आता है। अल्लाह ने माहे रमजान में बोहोत ही खास बरकत रखी है, इस महीने में अल्लाह ने हर मुसलमान पर रोज़े फर्ज़ रखे हैं और अल्लाह ने इसका इनाम भी खुद देना का वादा किया है।

अगर कोई मुसलमान इस बरकतों वाले महीने में खुद जान कर रोजा छोड़ देता है या तोड़ देता है तो उसको कफ्फारा अदा करना होगा मतलब की जुर्माना देना होगा।वो कफ्फारा क्या होगा,कैसे होगा,किस तरह अदा होगा वो हम आगे पढ़ते हैं।

कफ्फारा कब वाजिब होता है ?

  • जब रमजान का रोजा तोड़ा जायेगा

कफ्फारा तभी वाजिब होगा जब रोजे को रमजान में तोड़ा जाए अगर रोजा रमजान के महीने के अलावा तोड़ा जाए तो उस पर कफारा वाजिब नहीं होगा

  • बिना किसी बड़ी वजह के रमजान का रोजा तोड़ा गया हो

बिना किसी बड़ी वजह रोजे को तोड़ा गया हो जैसे कि कोई बड़ी बीमारी या फिर कोई सफर कर रहा हो या फिर किसी को ऐसी तकलीफ हो जिसमें वह रोजा नहीं रख सकता और अगर वह रोजा रखेगा तो उसका जीना नामुमकिन हो जाएगा उस सूरत में कफ़्फ़ारा वाजिब नहीं है। जो रोजा कज़ा हो जाता है उस रोजे के बदले में एक रोजा रखने का हुकुम है।

  • रोजे की हालत में जान बुझ कर पानी पीने से रोजे का कफ्फारा अदा करना होगा।

रमजा के रोज़े का कफ्फारा कैसे अदा किया जाए ? | Ramzan Ke Roze Ka Kaffara Kaise Ada Kare

कोई शख़्स जिस पर रोज़ा रखना फ़र्ज़ हो रमज़ान का रोज़ा रखने के बाद जानबूझ कर कोई ऐसा काम करे जिससे रोज़ा टूट जाता है तो उस पर क़ज़ा के साथ कफ़्फ़ारा भी लाज़िम होता है।

1. हो सक तो को गुलाम या बंद को आजाद करवाए

वैसे अब गुलामों का दौर तो रहा नहीं लेकिन इस्लाम एक ऐसा मजहब है जिसने सबसे पहले गुलाम प्रथा को बंद किया और अल्लाह ने गुलाम और बंदी को आजाद करवाने पर कफ़्फ़ारा को कुबूल किया सुभान अल्लाह।

2. लगातार दो महीने के रोजे रखना

लगातार 60 रोज़े को रखना और अगर एक भी रोजा छूट जाए तो फिर दोबारा से रोजा रखना होगा। किसी भी बीमारी या बड़ी वजह या सफर की वजह से जो रोजे बीच में छूटे वह नहीं माने जाएंगे दोबारा से गिनती करके पूरे 60 रोज़े रखने होंगे वह भी लगातार तभी वह कफ्फारा माना जाएगा।

3. औरतों के मसाइल

औरत पर (रोज़े तोड़ने की वजह से) कफ्फारा वाजिब हो जाए और इसी वजह से वह मुसलसल 2 माह के रोजे रख रही है, लेकिन बीच में माहवारी के दिन आ जाएं तो उन दिनों में रोजा ना रखे बल्कि माहवारी से पाक होकर सिर्फ बाक़ी रोजे पाक होने के बाद फौरन रखने शुरू कर दें सिरे से 60 रोज़े रखने की ज़रुरत नहीं।

4. 60 मिस्कीनों को दो वक्त का खाना खिलाना

अगर आपके अंदर रोजा रखने की ताकत नहीं है या कोई बीमारी है या फिर सफर में है तो आप को दो वक्त किसी गरीब मिस्कीन को 60 दिन तक खाना खिलाना होगा।

5. कफारे के रोजे में बीमारी

अगर कोई शख्स अपना कफ्फारा करने के लिए रोजे रख रहा था, और उस बीच उसकी तबीयत खराब हो गई या उसको कोई बीमारी हो गई तो सेहत तंदुरुस्ती आने के बाद अपने रोजों को उसको दोबारा रखना होगा तभी उसका कफारा अदा होगा।

6. एक ही गरीब को 60 दिन तक खाना खिलाना

60 दिन गरीब को खाना खिलाने से कफ्फारा अदा हो जाएगा लेकिन वह किसी एक ही गरीब को खिलाना होगा यह नहीं कि हर रोज कोई नया गरीब खिलाया जाए। या फिर उस गरीब को 60 दिन तक अनाज भी दे सकते हैं तब भी कफ्फारा अदा हो जाएगा। या उसकी कीमत भी दे सकते हैं।

7. अनाज देना

अगर खाना ना खिलाए बल्कि 60 फकीरों को कच्चा अनाज दे दिया जाए तो वह भी वाजिब है। लेकिन इस सूरत में हर गरीब को इतना अनाज दिया जाए कि वह 60 दिन तक आराम से बैठ कर खा सके इस तरह भी आपका कफ्फारा अदा हो जाएगा।


Conclusion ( नतीजा )

आज के इस टॉपिक Ramzan Ke Roze Ka Kaffara Kaise Ada Kare से हमने यह सीखा, कि रमजान के महीने में कोई भी एक रोजा छोड़ने पर कफारा अदा करना होता है, जो कि अल्लाह की तरफ से हुकुम है अल्लाह ने फरमाया है, की रोजा रखना हर मुसलमान पर फर्ज है और जो मुसलमान जानबूझकर कोई रोजा तोड़ दे या रोजा ना रखे, तो उसे कफ़्फ़ारा अदा करना होगा मतलब उसको जुर्माना देना होगा।

अल्लाह की तरफ से रमजान मुसलमानों के लिए एक नेमत की तरह आते हैं, क्योंकि इस महीने में अल्लाह एक अलग ही बरकत देते हैं और बहुत ही सुकून का माहौल होता है।

हमे भी ज्यादा से ज्यादा यह कोशिश करनी चाहिए, कि हम इस महीने में अल्लाह की इबादत करें और अपने गुनाहों की माफी मांगे बेशक अल्लाह माफ करने वाला है और माफी को पसंद करता है, हमें रमजान के महीने में सारे ही रोजे रखने चाहिए लेकिन फिर भी अगर कोई रोजा छूट जाए।

जैसे कि अगर कोई बीमारी हो या फिर कोई शख्स सफर में हो, तो उसको फोरन उस रोजे का कफारा अदा कर देना चाहिए, उसको अदा करने के कई ऑप्शंस मौजूद है, किसी को भी पसंद करके उसी तरह से अदा करना चाहिए जितना जल्दी हो सके।

अल्लाह अल्लाह हम सबको नेक बनाएं और अच्छे अमल करने की तौफीक अता फरमाए अल्लाह हमारे अगले और पिछले सारे गुनाहों को माफ करें और हमें माहे रमजान में सारे रोजे रखने की ताकत और हिम्मत दे और हमें नेक बनाएं अल्लाह हमें रोजदार बनाएं सबको।

आमीन सुम्मा आमीन या रब्बुल आलमीन।

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