मसनून दुआयें इन हिंदी masnoon duain
मसनून दुआओं Masnoon Duainका एक मजमुआ हमने सर्वरे आलम सल्लल्लाहु अलैहेवसल्लम वोह दुआयें तर्जुमा के साथ जमा की हैँ जो वक़तन फवक़तन मौके और मुकाम की मुनास्बत से आप बारगाहे खुदा वंदी मे पेश किया करते थे उन दुआओं के माने मे गौर करने से मालूम होता है कि उनमे इस्लाम की बड़ी अहम तालिमात हैँ और उनको पढ़कर उनकी मानों मे गौर करके तौहीद के बुलंद मुकामात पर रसाई हो सकती है
चुंकि हर इन्सान खुदा ही का बन्दा है और जिन असबाब से बन्दे राहत वा आराम पाते हैँ वोह भी खुदा ही की मखलूक हैँ इसलिये इन्सान का फरिजा है कि वोह हर राहत वा सकून को अल्लाह ही की तरफ से समझें और उनके मिलने पर अल्लाह ही का शुक्र अदा करे और हर वक़्त हर मौके पर अल्लाह ही को याद करे और बार बार अपनी गुलामी और खुदा के माबूद होने का इकरार करे इन दुआओं मे आपको जघा जघा अल्लाह की वहदानियत और मिल्कियत का इकरार और बन्दों के आज्जजी का इजहार मिलेगा और आप यकीन करेंगे की हादी आलम सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने दुनिया वह आखिरत की कोई भलाई ऐसी नहीं छोड़ी जो अल्लाह से मांग ना ली हो
मुसलमान को चाहिये कि इन दुआओं को याद करके हस्ब मौके और मुकाम पर पढ़ा करें क्योंकि इनके पढ़ने से अव्वल तो आन हजरत सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम का इत्तेबा है जो खुदा तक पहुंचने का बेहतर से बेहतर जरिया है दूसरे चुंकि खुद इनके अल्फाज अल्लाह जल्ला सानाहू ने अपने नबी सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम को इलहाम फरमाये हैं इसलिए यकीनी तौर पर मकबूल वा मुस्तेजाब हैं कुछ अहले अल्लाह के बारे में मालूम हुआ है कि वोह मसनून दुआओं का ही विर्द रखकर वासिल बा खुदा हो गये और उनको रियाजत व मुजाहिदा में जान ना खपानी पड़ी
इन दुआओं के अलावा आन हजरत सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम की और भी दुआएं कुतुब और हदीस में वारिद हुई हैँ जो तमाम दुनिया और आखिरत की कामयाबियों को शामिल हैं और किसी मौका या मुकाम के मुताल्लिक नहीं हैं जिनको हजरत मुल्ला अली कारी रहमतुल्लाह अलै ने, अल हिज्ब अल अजम,और हज़रत हकीम अलामत मौलाना असरफ अली साहब थानवी ने, मुनाजात मकबूल, मे जमा फरमाकर हफ्ता भर की सात मंजिलों पर तक्सीम कर दिया है,
इस वेबसाइट की हर दुआ अहकर ने खुद क़ुतुब वा हदीष से देख कर नकल की है