जब सुबह होतो यह दुआ पढ़ें Subah Ki Dua
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जब सुबह हो तो यह दुआ पढ़े
اصْبَحْنَا وَاصْبَحَ الْمُلْكُ لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ اللهمَّ فِي اسْتَلْكَ خَيْرَهُنَا الْيَوْمِ فَتَحَهُ وَنَصَرَهُ وَنُورَهُ وَبَرَكَتَهُ وَهُدَاهُ وَأَعُوذُ بِكَ مِن شَرِّ مَا فِيهِ وَشَرِّ مَا بَعْدَهُ (حصن عن ابی داؤد)
अस्बहना व अस्बहल मुल्कु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन।
अल्लाहुम्मा इन्नी असअलु-का खैरा हाजल यैमी फतहहु व नस्रहू व नू रहू व बर-कतहू व हुदाहु व अजूजुबिका मिन शर्री मा फिही व शर्रि मा बा दहू
-हिस्न अन अबिदाऊद
तर्जुमा- हम ने और सारे मुल्क ने अल्लाह ही के लिए सुबह की है जो पूरी दुनिया का रब है।
ऐ अल्लाह ! मैं तुझसे इस दिन की बेहतरी यानी इस दिन की फ्ह और मदद और इस दिन के नूर और बरकत और हिदायत का सवाल करता हूं और उन चीज़ों की बुराई से, जो उसमें हैं और जो उसके बाद होंगी, तेरी पनाह चाहता हूँ।
या यह पढ़े
اللهُمَّ بِكَ أَصْبَحْنَا وَبِكَ أَمْسَيْنَا وَبِكَ نَحْيى
وَبِكَ نَمُوتُ وَإِلَيْكَ الْمَصِيرُ ( ترمذی )
अल्लाहुम्मा बिका अस्बहना व बिका अम्सैना व बिका नहया व बिका नमूतु व इलैकल मसीर० – तिमिजी
तर्जुमा-ऐ अल्लाह ! तेरी कुदरत से हम सुबह के वक़्त में दाखिल हुए और तेरी कुदरत से हम शाम के वक़्त में दाखिल हुए और तेरी कुदरत से हम जीते हैं, मरते हैं और तेरी तरफ जाना है।